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In the US elections, India and Indian interests are being measured. s. Tomar

In the US elections, India and Indian interests are being measured. s. Tomar


KS Tomar 

Unlike the established principles of foreign policy, India has kept all its hopes on the trump, so Donald Trump's failure to win the Presidential election for the second time can affect our interests badly, especially when the trump in Jammu and Kashmir We have openly supported the issue of neutralizing Article 370, Citizenship Amendment Act (CAA), Chinese aggression etc.

Given Trump's declining ratings, if Democrat candidate Joseph Biden wins the presidential election, it is not certain that he will remain committed to standing with India on all issues, as his view may differ from his predecessor. Biden's nomination of Kamala Harris for the post of Vice President also has a political meaning, as he is likely to garner the support of people of Indian origin and young Americans.

Foreign policy experts say that Trump is facing huge hurdles and failures to handle the Kovid-19, which has led to a large number of deaths, a sinking economy, a lack of jobs, and in various states, Racial riots are happening. Trump may play the Chinese card to win the election this time, due to his late actions against Corona and failing to save Americans' lives due to lack of adequate health facilities. He has repeatedly reprimanded China for deliberately hiding information and misleading the world. Trump may try to convince his voters that his government did not take any laxity, instead, China tried to weaken America because it wants to become a superpower. Biden is leading the presidential election by a wide margin, while the campaign is in its final stages.

Experts say Trump can count on people of Indian origin, who have usually stood with a Republican representative in the past. During the Howdy Modi rally, Modi also openly supported the trump. The equation can change after the voters reject the trump and it can be dangerous for India. Democrats may take seriously Trump's help to win elections, as foreign policy should be guided by the principle of equality, which has been violated.

Trump's re-election will, however, strengthen ties with India and lead to a trade agreement between the two countries, which was postponed until the presidential election. But if Biden wins, nothing is certain. Biden has urged the Government of India to take all necessary steps for the restoration of all rights of the people of Kashmir. Biden is disappointed with the implementation of the National Citizenship Register in Assam and the passage of the Citizenship Amendment Act.

He considered such measures inconsistent with the country's long tradition of secularism and maintaining multi-ethnic, multi-religious democratic traditions. Trump's victory may ease India's tensions with Pakistan and Nepal, but it is not certain in the case of Joey Biden, who has strong views on trade, etc.

However, Biden's clear message is that if he wins, the Indo-US partnership will be a "high priority" for his administration. This is important in the event of a border dispute with China. On June 15, both Democrats and Republicans made statements in support of India over the 20 Indian soldiers killed in clashes with Chinese troops along the Line of Actual Control.

Biden has also stated that he will remove the temporary suspension of the H-1B visa imposed by Trump. He has also indicated a more inclusive and liberal immigration policy. Given the poor state of the American economy, it is politically bold to speak in favor of foreign workers.

Biden also believes that the Indo-American partnership is extremely important to maintain the balance of power in Asia, which supports democracies, especially when China is demonstrating its strength. Biden's top advisors seem to be eyeing China. He has said that he is 'proud' that he had played an important role as a senator in the Indo-US civil nuclear deal through the US Congress. That agreement actually changed the bilateral relationship in a fundamental way.

New Delhi should be somewhat relieved by Biden's statement. But there are concerns about the Democrats within the BJP and among their fiercest supporters of the US. Especially from some progressives of the House who criticized Prime Minister Modi for his human rights record without knowing the reality of Kashmir. At the same time, Modi's overall support for Trump also upset some Democrats. According to former US ambassador Richard Verma, if Biden wins the election, he will help India secure a permanent seat in the United Nations Security Council (UNSC).

Significantly, China is against the inclusion of India in the UNSC. Verma also said that there is no doubt that under the leadership of Biden, India and the United States will work together to protect their citizens collectively, which means standing against cross-border terrorism and when neighboring countries Change the status quo


अमेरिकी चुनाव में भारत और भारतीय हितों का नाप-तौल बता रहे हैं के. एस. तोमर
केएस तोमर 
US Election - फोटो : PTI

  
विदेश नीति के स्थापित सिद्धांतों के उलट भारत ने अपनी सारी उम्मीदें ट्रंप पर ही लगा रखी हैं, इसलिए दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने में डोनाल्ड ट्रंप की विफलता हमारे हितों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है, खासकर तब जब ट्रंप ने जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), चीनी आक्रामकता आदि के मुद्दे पर हमारा खुले दिल से समर्थन किया है।
ट्रंप की घटती रेटिंग के मद्देनजर अगर डेमोक्रेट उम्मीदवार जोसेफ बिडेन राष्ट्रपति का चुनाव जीतते हैं, तो यह निश्चित नहीं है कि वह सभी मुद्दों पर भारत के साथ खड़े रहने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे, क्योंकि उनका विचार अपने पूर्ववर्ती से अलग हो सकता है। बिडेन द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस के नामांकन का भी राजनीतिक अर्थ है, क्योंकि उनमें भारतीय मूल के लोगों तथा युवा अमेरिकियों का समर्थन हासिल करने की संभावना है।
विदेश नीति के विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप को कोविड-19 को संभालने के लिए भारी बाधाओं और विफलताओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हुईं, अर्थव्यवस्था डूब रही है, नौकरियों की कमी है और वहां के विभिन्न राज्यों में नस्लीय दंगे हो रहे हैं। कोरोना के खिलाफ देरी से कदम उठाने और पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते अमेरिकियों की जान बचाने में विफल रहने के कारण ट्रंप इस बार चुनाव जीतने के लिए चीनी कार्ड खेल सकते हैं। उन्होंने बार-बार चीन को फटकार लगाई है कि उसने जान-बूझकर जानकारी छिपाई और दुनिया को गुमराह किया। ट्रंप अपने मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर सकते हैं कि उनकी सरकार ने कोई ढिलाई नहीं बरती, बल्कि चीन ने अमेरिका को कमजोर करने की कोशिश की, क्योंकि वह महाशक्ति बनना चाहता है। बिडेन राष्ट्रपति चुनाव में व्यापक अंतर से आगे चल रहे हैं, जबकि प्रचार अभियान अपने अंतिम चरण में है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप भारतीय मूल के लोगों पर भरोसा कर सकते हैं, जो आम तौर पर अतीत में रिपब्लिकन प्रतिनिधि के साथ खड़े रहे हैं। हाउडी मोदी रैली के दौरान मोदी ने भी ट्रंप का खुलकर समर्थन किया था। मतदाताओं द्वारा ट्रंप को खारिज किए जाने के बाद समीकरण बदल सकते हैं और यह भारत के लिए खतरनाक हो सकता है। चुनाव जीतने के लिए ट्रंप द्वारा मोदी की मदद लेने को डेमोक्रेट्स गंभीरता से ले सकते हैं, क्योंकि विदेश नीति को बराबरी के सिद्धांत के रूप में निर्देशित होना चाहिए, जिसका उल्लंघन किया गया है।
ट्रंप के फिर से चुनाव जीतने से हालांकि भारत के साथ संबंधों में मजबूती आएगी और दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है, जिसे राष्ट्रपति चुनाव तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अगर  बिडेन जीत गए, तो कुछ निश्चित नहीं है। बिडेन ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कश्मीर के लोगों के तमाम अधिकारों की बहाली के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किए जाने से बिडेन निराश हैं।

उन्होंने ऐसे उपायों को देश की धर्मनिरपेक्षता की लंबी परंपरा और बहु-जातीय, बहु-धार्मिक लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखने के लिहाज से असंगत माना है। ट्रंप की जीत से पाकिस्तान और नेपाल के साथ भारत का तनाव कम हो सकता है, पर जॉय बिडेन के मामले में ऐसा कुछ निश्चित नहीं है, जिनके व्यापार आदि को लेकर अपने सख्त विचार हैं।

हालांकि बिडेन का स्पष्ट संदेश है कि अगर वह जीतते हैं, तो भारत-अमेरिका साझेदारी उनके प्रशासन की ‘उच्च प्राथमिकता’ होगी। यह चीन के साथ सीमा विवाद की स्थिति में महत्वपूर्ण है। विगत 15 जून को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर डेमोक्रेट्स एवं रिपब्लिकन, दोनों ने भारत के समर्थन में बयान दिया था।

बिडेन ने यह भी कहा है कि वह ट्रंप द्वारा लगाए गए एच-1 बी वीजा के अस्थायी निलंबन को हटा देंगे। उन्होंने अधिक समावेशी और उदार आव्रजन नीति का भी संकेत दिया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को देखते हुए विदेशी श्रमिकों के पक्ष में बोलना राजनीतिक रूप से साहसिक है।

बिडेन का यह भी मानना है कि भारत-अमेरिकी भागीदारी एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो लोकतंत्रों का समर्थन करती है, खासकर तब, जब चीन अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। लगता है कि बिडेन के शीर्ष सलाहकार चीन पर नजरें जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें ‘गर्व’ है कि अमेरिकी कांग्रेस के माध्यम से भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते कराने में एक सीनेटर के नाते उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समझौते ने वास्तव में द्विपक्षीय रिश्ते को मौलिक तरीके से बदल दिया।

बिडेन के बयान से नई दिल्ली को कुछ हद तक राहत पहुंचनी चाहिए। लेकिन डेमोक्रेट के बारे में भाजपा के भीतर और अमेरिका के उनके उग्र समर्थकों के बीच चिंताएं हैं। विशेष रूप से सदन के कुछ प्रगतिशीलों से, जिन्होंने कश्मीर की वास्तविकता को जाने बगैर मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की। साथ ही, मोदी द्वारा ट्रंप को दिए गए संपूर्ण समर्थन ने भी कुछ डेमोक्रेट्स को परेशान किया। पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा के मुताबिक, अगर बिडेन चुनाव जीतते हैं, तो वह भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट हासिल करने में मदद करेंगे।

गौरतलब है कि चीन यूएनएससी में भारत को शामिल किए जाने के खिलाफ है। वर्मा ने यह भी कहा कि इस पर कोई संदेह ही नहीं है कि बिडेन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका अपने नागरिकों को सामूहिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिसका मतलब है कि सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना और जब पड़ोसी देश यथास्थिति को बदलने की कोशिश करे, तब 
ट्रंप के फिर से चुनाव जीतने से हालांकि भारत के साथ संबंधों में मजबूती आएगी और दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सकता है, जिसे राष्ट्रपति चुनाव तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अगर  बिडेन जीत गए, तो कुछ निश्चित नहीं है। बिडेन ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कश्मीर के लोगों के तमाम अधिकारों की बहाली के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किए जाने से बिडेन निराश हैं।

उन्होंने ऐसे उपायों को देश की धर्मनिरपेक्षता की लंबी परंपरा और बहु-जातीय, बहु-धार्मिक लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखने के लिहाज से असंगत माना है। ट्रंप की जीत से पाकिस्तान और नेपाल के साथ भारत का तनाव कम हो सकता है, पर जॉय बिडेन के मामले में ऐसा कुछ निश्चित नहीं है, जिनके व्यापार आदि को लेकर अपने सख्त विचार हैं।

हालांकि बिडेन का स्पष्ट संदेश है कि अगर वह जीतते हैं, तो भारत-अमेरिका साझेदारी उनके प्रशासन की ‘उच्च प्राथमिकता’ होगी। यह चीन के साथ सीमा विवाद की स्थिति में महत्वपूर्ण है। विगत 15 जून को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर डेमोक्रेट्स एवं रिपब्लिकन, दोनों ने भारत के समर्थन में बयान दिया था।

बिडेन ने यह भी कहा है कि वह ट्रंप द्वारा लगाए गए एच-1 बी वीजा के अस्थायी निलंबन को हटा देंगे। उन्होंने अधिक समावेशी और उदार आव्रजन नीति का भी संकेत दिया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को देखते हुए विदेशी श्रमिकों के पक्ष में बोलना राजनीतिक रूप से साहसिक है।

बिडेन का यह भी मानना है कि भारत-अमेरिकी भागीदारी एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो लोकतंत्रों का समर्थन करती है, खासकर तब, जब चीन अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। लगता है कि बिडेन के शीर्ष सलाहकार चीन पर नजरें जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें ‘गर्व’ है कि अमेरिकी कांग्रेस के माध्यम से भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते कराने में एक सीनेटर के नाते उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समझौते ने वास्तव में द्विपक्षीय रिश्ते को मौलिक तरीके से बदल दिया।

बिडेन के बयान से नई दिल्ली को कुछ हद तक राहत पहुंचनी चाहिए। लेकिन डेमोक्रेट के बारे में भाजपा के भीतर और अमेरिका के उनके उग्र समर्थकों के बीच चिंताएं हैं। विशेष रूप से सदन के कुछ प्रगतिशीलों से, जिन्होंने कश्मीर की वास्तविकता को जाने बगैर मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की। साथ ही, मोदी द्वारा ट्रंप को दिए गए संपूर्ण समर्थन ने भी कुछ डेमोक्रेट्स को परेशान किया। पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा के मुताबिक, अगर बिडेन चुनाव जीतते हैं, तो वह भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट हासिल करने में मदद करेंगे।

गौरतलब है कि चीन यूएनएससी में भारत को शामिल किए जाने के खिलाफ है। वर्मा ने यह भी कहा कि इस पर कोई संदेह ही नहीं है कि बिडेन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका अपने नागरिकों को सामूहिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिसका मतलब है कि सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना और जब पड़ोसी देश यथास्थिति को बदलने की कोशिश करे, तब भारत के साथ खड़ा होना।



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