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Contempt case: Supreme Court dismisses Bhushan's appeal, lawyer says - there will not be trouble on postponing punishment

Contempt case: Supreme Court dismisses Bhushan's appeal, lawyer says - there will not be trouble on postponing punishment



The Supreme Court on Thursday dismissed the appeal of advocate Prashant Bhushan in the contempt case. Bhushan had applied for an opportunity to postpone the debate on the sentence and give a review petition. The court said that if we punish you then it will not apply till the decision on review. We will be fair with you. We think you are trying to avoid this back. At the same time, his lawyer said that if the punishment is postponed, then there will be no trouble.

In the court, Prashant Bhushan's lawyer Dushyant Dave said that the appeal under judicial review is correct and the sentence can be adjourned. If the punishment is postponed, there will be no disaster. The court refused to file his review petition against the conviction for criminal contempt and postpone the hearing on his sentence until a decision is arrived at. The court said that the verdict is completed only after the conviction.

What is the whole matter
On August 14, the Supreme Court held Prashant Bhushan guilty of contempt in a controversial tweet regarding the court and the Supreme Court. A bench of justices Arun Mishra, BR Gavai, and Krishna Murari had said that the sentence would be debated on August 20.

Bhushan's tweets were considered contempt by the court

On 27 June, when historians look at the last six years of India, we find how democracy was abolished in the country without an emergency. In this, they (historians) will question the role of the Supreme Court, especially the four former Chief Justices.

On 29 June, senior counsel shared a photo of Chief Justice SA Bobde with Harley Davidson Bike. He wrote evil of CJI Bobde that he had ordered the courts to be closed during the Corona era.

अवमानना मामला: सुप्रीम कोर्ट ने भूषण की अपील की खारिज, वकील बोले- सजा टालने पर नहीं होगी आफत
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण की अपील खारिज कर दी। भूषण ने आज सजा पर होने वाली बहस को टालने और समीक्षा याचिका लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी।

अदालत ने कहा कि अगर हम आपको दंडित करते हैं तो समीक्षा पर निर्णय तक यह लागू नहीं होगा। हम आपके साथ निष्पक्ष रहेंगे। हमें लगता है कि आप इस पीठ से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं उनके वकील ने कहा कि यदि सजा को टाल दिया जाता है तो कोई आफत नहीं आएगी।

अदालत में प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि न्यायिक समीक्षा के तहत अपील सही है और सजा को स्थगित किया जा सकता है। यदि सजा टाल दी जाएगी तो कोई आफत नहीं आएगी। अदालत ने आपराधिक अवमानना के लिए सजा के खिलाफ उनकी समीक्षा याचिका दायर करने और निर्णय आने तक उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि सजा के बाद ही फैसला पूरा होता है।

क्या है पूरा मामला
अदालत और उच्चतम न्यायालय को लेकर विवादित ट्वीट करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा था कि 20 अगस्त को सजा पर बहस होगी।

भूषण के इन ट्वीट्स को अदालत ने माना था अवमानना

27 जून को जब इतिहासकार भारत के बीते छह सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना आपातकाल के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) उच्चतम न्यायालय खासकर चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।

29 जून को वरिष्ठ वकील ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। उन्होंने सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना काल में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।


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